Top Five Professions after Completing an Astrology Certification

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Numerology के अनुसार आपका नाम बदलने से Life में कैसे आएगा बदलाव?

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Numerology के अनुसार आपका नाम बदलने से Life में कैसे आएगा बदलाव?

आपका नाम सिर्फ़ पहचान नहीं, बल्कि आपकी रोज़मर्रा की ऊर्जा का हिस्सा है। कई बार हम महसूस करते हैं कि मेहनत के बावजूद चीज़ें हमारे पक्ष में नहीं होतीं।

जॉब इंटरव्यू में सिलेक्शन के लिए आज़माएं ये असरदार वास्तु उपाय

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जॉब इंटरव्यू में सिलेक्शन के लिए आज़माएं ये असरदार वास्तु उपाय

किसी के लिए भी जिंदगी आसान नहीं होती है। किसी को शादी में परेशानियां आती हैं, तो किसी का करियर खराब चल रहा होता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए नौकरी मिलना ही एक सपने की तरह हो जाता है। वो बार-बार इंटरव्‍यू देते हैं.

जीवन में असंतुलन? हो सकता है राहु का प्रभाव – ये हैं मुख्य संकेत

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जीवन में असंतुलन? हो सकता है राहु का प्रभाव – ये हैं मुख्य संकेत

क्या आपकी जिंदगी में परेशानी चल रही है? क्या आप अपने करियर में परेशान हैं? अगर हां तो हो सकता आपके जीवन में राहु का प्रभाव हो। रिश्ते हों या स्वास्थ्य, कुछ ऐसा अजीब चल रहा है.

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विवाह के लिए विशेष महत्वपूर्ण हैं गुरु, शुक्र एवं मंगल

हमारे शास्त्रों में 16 संस्कार बताये गये हैं जिनमें विवाह सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। हमारे समाज में जीवन को सुचारू रूप से चलाने एवं वंश को आगे बढ़ाने के लिए विवाह करना आवश्यक माना गया है। जब हम कुंडली में विवाह का विचार करते हैं तो उसके लिए नौ ग्रहों में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह गुरु, शुक्र और मंगल का विश्लेषण करते हैं। इन तीनों ग्रहों का विवाह में विशेष भूमिका होती है। यदि किसी का विवाह नहीं हो रहा है या दांपत्य जीवन ठीक नहीं चल रहा है तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उसकी कुंडली में गुरु, शुक्र और मंगल की स्थिति ठीक नहीं हैं।

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विवाह बाधा योग एवं समाधान

विवाह बंधन एक ऐसा मधुर बंधन है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति बंधना चाहता है। किंतु ऐसा नहीं है कि हर एक को विवाह से खुशियां प्राप्त हो ही जाए। हम अपने जीवन में आए दिन देखते हैं कि विवाह के बंधन में बंधे हुए अनेक व्यक्ति इतनी जोर से छटपटा रहे होते हैं कि चाहते हैं कि अभी यह बंधन टूटे और जंजाल से जान छूटे और वे आजाद हो जाएं।

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विवाह में खलनायक मांगलिक दोष

जातक की कुंडली में मंगल ग्रह की लग्न, चंद्रमा तथा शुक्र से विषेष भावों में उपस्थिति कुंडली में मांगलिक दोष उत्पन्न करती है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल दोष होता है उनके विवाह के पष्चात् पति या पत्नी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसके कारण वैवाहिक सुख में कमी हो सकती है, विवाह में विलंब हो सकता है अथवा किसी एक की आयु की हानि भी हो सकती है । कन्या का वैधव्य योग भी इससे देखा जाता है। इसी कारण मंगल दोष को वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।

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विवाह में मंगल दोष

जन्मकुंडली में स्थित मंगल वैवाहिक संबंधों को बहुत प्रभावित करता है इसलिए कुंडली मिलान के समय मंगल दोष पर विशेष रूप से विचार किया जाता है। मंगली कन्या के लिए मंगली वर और मंगली वर के लिए मंगली कन्या ढूंढते-ढूंढते कई बार विवाह की उम्र भी पार हो जाती है। इस आलेख में विभिन्न भावों में मंगल के प्रभाव एवं उसके दोष परिहार की जानकारी दी जा रही है...

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विवाह में विलंब के कारण

ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से विवाह में विलम्ब होने के प्रमुख कारण हैं जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में अशुभ, अकारक एवं क्रूर ग्रहों का स्थित होना तथा सप्तमेश एवं उसके कारक ग्रह बृहस्पति/ शुक्र एवं भाग्येश का निर्बल होना । यदि पृथकतावादी ग्रह सूर्य, शनि, राहु, केतु सप्तम भाव को प्रभावित करते हैं तो विवाह में विलम्ब के साथ-साथ वैवाहिक जीवन में कलह, तनाव, अलगाव, संबंध विच्छेद जैसी अनेक परेशानियां उत्पन्न होती हैं ।

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विवाह में विलम्ब

विवाह हमारे जीवन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण अंग है। विवाह संस्कार के बिना इंसान का जीवन हमारे शास्त्रों के अनुसार अधूरा है। विवाह के साथ ही स्त्री पुरुष मिलकर सृष्टि को आगे बढ़ने के लिए क्रियान्वित करते हैं। किंतु आज के इस औद्योगिक युग में लड़के-लड़कियां इस विवाह संस्कार को इतना महत्व नहीं देते व अपने करियर के प्रति ज्यादा चिंतित रहते हैं जिस वजह से विवाह में विलंब करते रहते हैं और फिर एक समय अवधि के बाद विवाह करना चाहते हैं

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विवाह मेलापक में प्रमुख दोष

विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए क्या-क्या वर्जित है और विहित है ? अशुभ समय में किए गए कार्यों के कठिन परिणाम एवं अभिजित और गोधूलि लग्न की विशेषताओं का मुहूर्त में महत्व जानिए इस लेख द्वारा

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विवाह मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है

विवाह संस्कार में बंधने से पूर्व वर एवं कन्या के जन्म नामानुसार गुण मिलान करने की परिपाटी है। गुण मिलान नहीं होने पर सर्वगुण सम्पन्न कन्या भी अच्छी जीवनसाथी सिद्ध नहीं होगी। गुण मिलाने हेतु मुख्य रुप से अष्टकूटों का मिलान किया जाता है।

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विवाह रेखा

पूरे शरीर में हृदय एक विचित्र सा अवयव है। एक तरफ यह पूरे शरीर को खून पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य करता है, तो दूसरी तरफ यह अपने आप में इतनी सूक्ष्म और कोमल कल्पनाएं रखता है कि जिसको समझना किसी के बूते की बात नहीं है। यह कोमल इतना होता है कि छोटी सी बात से भी इसको इतनी अधिक ठेस लगती है कि यह बिल्लारी कांच की तरह टूटकर चूर-चूर हो जाता है। यह एक प्रतीक है अनुभूतियों का, सुंदर स्वप्न है मानीवय कल्पनाओं का और कोष है सद्भावना, करूणा, ममत्व, सहानुभूति और स्नेह का।

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विवाह रेखा एवं उसके फल

विवाह तय करते समय जन्मपत्री मिलान के अतिरिक्त हस्त रेखाओं का अध्ययन भी सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि जन्मपत्री जन्म समय का ठीक ठीक पता नहीं होने से गलत हो सकती है परंतु हस्त रेखा सही होती है। विवाह रेखा के अलावा भाग्य, आयु, हृदय और मस्तिष्क रेखाओं का गहन अध्ययन आवश्यक है।

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विवाह विलंब का महत्वपूर्ण कारक शनि

आज विवाह देर से करने का प्रचलन सा चल पड़ा है लेकिन कई बार लगातार प्रयास करने के बाद भी विवाह तय नहीं हो पाता। कहीं विवाह में बाधा होने का मुख्य कारण जन्मकुंडली में शनि की स्थिति तो नहीं, जानने के लिए पढ़िए यह आलेख...

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विवाह सुख में बाधा दर्शाने वाले योग और लाल किताब द्वारा उनके उपाय

विवाह होकर भी कई बार दंपतियों को वैवाहिक सुख नहीं मिल पाता। इसके मूल में कई ऐसी बातें हैं जिनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। छोटे-छोटे सरल उपायों द्वारा वैवाहिक जीवन को सुखी बनाया जा सकता है। क्या हैं वैवाहिक सुख की बाधाएं और उनके उपाय, आइए जानें...