Why the Northeast (Ishanya) Corner is Sacred in Vastu

Why the Northeast (Ishanya) Corner is Sacred in Vastu

Life Path Number 1 Meaning: Traits, Challenges & How to Succeed

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Life Path Number 1 Meaning: Traits, Challenges & How to Succeed

Life Path Number 1 is the number of strength, courage and new beginning. Want to know if you are born to be a leader? Then this is your number. You do not wait, you act.

7 Surprising Benefits of Letting Someone Else Read Your Tarot Cards

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7 Surprising Benefits of Letting Someone Else Read Your Tarot Cards

Tarot is a powerful tool. It helps people understand life, feelings, and choices. Many people read cards for themselves. That’s a good thing.

A Guide to the Suit of Wands – Tarot Card Meanings for Love, Career, and Life

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A Guide to the Suit of Wands – Tarot Card Meanings for Love, Career, and Life

Tarot’s Suit of Wands concerns energy, movement, and expansion. It brings to light your passion and drive inside to move you towards love, professional success, and self-improvement.

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टोटकों का अद्भुत संसार

आज का युग कलयुग है। कलयुग में ‘नानक दुखिया सब संसार’। यानि आज लगभग हर इंसान किसी न किसी कारण से दुखी है। इंसान छोटा हो या बड़ा, अमीर हो या गरीब - प्रत्येक को कोई न कोई समस्या परेशान करती ही रहती है जिसके लिये वह उपायों की तलाश में रहता है। हमारे प्राचीन ऋषि मुनि व विद्वानों ने जनसाधारण की रोजमर्रा की समस्याओं के निवारण हेतु अनेक सरल व आसानी से किये जाने वाले उपाय सुझाये हैं जिनको विधिपूर्वक करने से लाभ लिया जा सकता है। कुछ उपाय तो इतने आसान, सस्ते और सटीक हैं कि आम से आम इंसान को भी उन्हें करने में कोई परेशानी नहीं आती और वह अपनी समस्याओं से निजात पा जाता है। ये आसान, सस्ते व सटीक उपाय ‘टोटके’ के नाम से भी जाने जाते हैं। आईये जानते हैं ऐसे ही कुछ लोकप्रिय परन्तु लाभदायक टोटके -

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त्रिबल शुद्ध दाम्पत्य जीवन

परस्पर सामंजस्य एवं सुख समृद्धियुक्त दाम्पत्य जीवन ही स्वस्थ समाज की संरचना में सहायक हो सकता है। पारस्परिक समन्वय एवं वैचारिक सामंजस्य का अभाव दाम्पत्य जीवन को ही दूषित नहीं करता अपितु उससे संतति सृजन एवं सृष्टि संरचना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

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तलाक क्यों?

रागुआज लगभग प्रत्येक इंसान अपने पुत्र व पुत्री के विवाह में लाखों, करोड़ों रुपये खर्च कर देते हैं, उसके बावजूद भी विवाह के कुछ माह के उपरांत शादीशुदा जोड़ा कोर्ट में होता है तलाक की अर्जी लिए। आखिर क्या वजह है कि इतनी संपन्नता के विवाह उपरांत भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। तलाक क्यों होते हैं, क्या कारण है, आखिर क्या वजह होती है कि वैवाहिक जीवन तलाक तक आ जाता है। आइए देखने की कोशिश करते हैं ज्योतिष के आइने से...

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दाम्पत्य जीवन पर राहु का दुश्प्रभाव

राहु की छाया दाम्पत्य जीवन को तीव्रता से प्रभावित करती है। राहु तथा मंगल मिलकर जहां जातक को जिद्दी बनाते हैं वहीं राहु का सप्तम भाव पर प्रभाव विवाह विच्छेद तक करा देता है, कैसे? आइए जानें...

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दाम्पत्य जीवन सुखी बनाने के उपाय

विवाह के बाद पति-पत्नी का दांपत्य जीवन प्रारंभ होता है जो दीर्घकाल तक चलता रहता है परंतु कभी-कभी ऐसा होता है कि कुंडली मिलान ठीक न होने या स्वभाव में भिन्नता, संतान का न होना, संतान का बिगड़ जाना, शारीरिक अक्षमता आदि के कारण दांपत्य जीवन में सुख का अभाव हो जाता है। इन सब स्थितियों का आकलन एवं अवलोकन करने के बाद हमारे पूर्वजों ने कुछ उपायों का अन्वेषण किया जिससे दांपत्य जीवन सुखी रहे। वे उपाय निम्न प्रकार कहे गये हैं:

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दाम्पत्य सुख

जन्म पत्रिका में संयम और बौद्धिकता से यदि तलाशा जाये तो ग्रह-नक्षत्रों के ऐसे अनेक संयोग मिल जाएंगे जो लड़कियों का विवाह करवाने, न करवाने अथवा विलंब आदि से करवाने के संकेत देते हैं। ग्रह-गोचर आदि की सूक्ष्म गणनाओं से विवाह की समयावधि का भी ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है और तदनुसार विवाह संपन्न भी होते हैं। परंतु ऐसे अनेक प्रकरण सामने आते हैं कि व्यक्तिगत जन्मपत्रिका में विवाह के स्पष्ट संकेत होने के बाद भी विवाह किन्हीं कारणों से संपन्न नहीं हो पाता और लड़की सहित पूरे परिवार के लिए मानसिक संत्रास का एक कारण बन जाता है।

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नारद पुराण के अनुसार विवाह मुहूर्त

पुराण ज्ञान राशि का भंडार है और मनुष्य जीवन का सच्चा साथी है। भगवान नारायण ने ही इस भूमंडल पर व्यास जी के रूप में अवतार लेकर लोगों के कल्याण के लिए 18 पुराणों की रचना की थी। नारद पुराण 18 पुराणों में से एक पुराण है। यह स्वयं महर्षि नारद के मुख से कहा गया कि हमें महर्षि व्यास द्वारा लिखा गया है। इस पुराण के विषय में कहा जाता है कि इसका श्रवण करने से पापी व्यक्ति भी पाप मुक्त हो जाते हैं। इस पुराण में विवाह मुहूर्त का निर्धारण करने हेतु शुद्धियों और दोषों की विस्तृत जानकारी दी गई है। आज हम यहां आपको यही जानकारी दे रहे हैं।

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पंच पक्षी से वैवाहिक मिलान

वर एवं कन्या के बीच सामंजस्य के मिलान की अनेक पद्धतियां भारत के अलग-अलग हिस्सों में प्रचलित रही हैं। वर एवं कन्या का दांपत्य जीवन सुखी एवं समृद्ध हो इसके लिए अलग-अलग तरीकों से दोनों के स्वभाव, आगामी जीवन, आपसी संबंध, प्रेम एवं सौहार्द आदि का आकलन करने की प्रथा रही है। दक्षिण भारत में पंच पक्षी वर्गकूट मिलान को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। सुखी गार्हस्थ्य जीवन में प्रेम का पौधा पुष्पित-पल्लवित होता रहे इसके लिए विवाह पूर्व वर एवं कन्या के बीच सामंजस्य की जांच करना आवश्यक है। पंचपक्षी पद्धति से भी यदि भावी वर एवं कन्या के बीच सामंजस्य का विचार किया जाता है तो यह काफी प्रभावी साबित हुआ है।

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पति एवं पत्नी प्राप्ति हेतु टोटके

घर-परिवार में विवाह योग संतान होंने पर माता-पिता अपनी संतान का समय से विवाह कराने के प्रयासों में लगे रहते है. विशेष रूप से कन्या के विवाह में देरी होना, माता-पिता की चिंताओं कों बढाता है. विधि विधान से टोटके प्रयोग कर, इस समस्या का समाधान किया जा सकता है. अविवाहित युवक हो या कन्या दोनों इस लेख में दिए गए टोटकों कों कर लाभ प्राप्त कर सकते है.

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प्रेम का प्रतीक फिरोजा

किसी के प्रति अपना प्रेम प्रकट करना हो, तो उसे फिरोजा की बनी मुद्रिका भेंट करनी चाहिए। यह प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी, अथवा मित्र किसी को भी भेंट की जा सकती है। इसमें अनुराग का रंग चढ़ा होता है। अगर पहले से प्रेम अंकुरित है, तो वह पल्लवित होगा, पुष्पित होगा और अंत में फलित भी होगा। यदि पहले से कुछ न हो, तो तब भी प्रेम अंकुरित होने लगेगा।

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प्रेम विवाह: ज्योतिषीय समीक्षा

ज्योतिष शास्त्र प्रथम दृष्टि में व्यक्तियों के स्वभाव व व्यक्तित्व का सटीक दिग्दर्शन करता है। राशि चक्र की बारह राशियां क्रमशः अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल तत्व दर्शाती हैं। ‘अग्नि तत्व’ (मेष, सिंह और धनु राशि) वाले उत्साही, स्वतंत्र विचार और ऊर्जावान होते हैं। ‘पृथ्वी तत्व’ के व्यक्ति स्थिर विचारवान होते हैं। ‘वायु तत्व’ (मिथुन, तुला और कुंभ राशि) वाले सौम्य, मिलनसार और भावुक होते हैं। ‘जल तत्व’ ( कर्क, वृश्चिक और मीन राशि) वाले कोमल हृदय, विचार बदलने वाले, रसिक स्वभाव और सात्विक होते हैं।

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प्रेम-विवाह और ज्योतिषीय ग्रह योग

‘प्रेम-विवाह’ एक ऐसा शब्द है जो अपने अंदर कई भावनाओं को समेटे हुए है। जहां अभिभावकों के लिए यह चिंता, आशंका, क्रोध, संशय आदि का कारण बनता है, वहीं नवयुवक तथा नवयुवतियों के लिए यह संतोष, आशा एवं सुखद भविष्य की कल्पना को ऊंची उड़ान देता है।