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We are living in a rapidly changing world where a lot of individuals are depressed, anxious, or confused. Although doctors and therapists assist in treating this, astrology can as well provide a meaningful analysis.
By: AIFAS
03-Jul-2025
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In Vastu Shastra, every direction has meaning. But the Northeast corner, also called Ishanya, is the most sacred of all. It holds deep spiritual and natural power.
19-Jun-2025
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Life Path Number 1 is the number of strength, courage and new beginning. Want to know if you are born to be a leader? Then this is your number. You do not wait, you act.
18-Jun-2025
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ज्योतिष जीवन में कई तरह से सहायता करता है। यदि विवाह से पूर्व वर-वधू की कुंडली का मिलान ठीक से कर लिया जाए तो भविष्य में आने वाली कठिनाइयां अवश्य कम हो जाती हैं। प्रारब्ध निश्चित है, फिर भी कर्म प्रधान है। कुंडली मिलान पर पाठकों की कुछ जिज्ञासाओं का समाधान इस आलेख में किया जा रहा है...
By: अविनाश सिंह
01-Jan-2014
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माता-पिता अपनी कन्या का विवाह करने के लिए वर की कुंडली का गुण मिलान करते है। कन्या के भविष्य के प्रति चिंतित माता-पिता का यह कदम उचित हिया। किन्तु इसके पूर्व उन्हें यह देखना चाहिए। की लडकी का विवाह किस उम्र में, किस दिशा में तथा कैसे घर में होगा?
By: सीताराम त्रिपाठी
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माता-पिता अपनी कन्या का विवाह करने के लिए वर की कुंडली का गुण मिलान करते हैं। कन्या के भविष्य के प्रति चिंतित माता-पिता का यह कदम उचित है। किंतु, इसके पूर्व उन्हें यह देखना चाहिए कि लड़की का विवाह किस उम्र में, किस दिशा में तथा कैसे घर में होगा?
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जन्म पत्रिका में संयम और बौद्धिकता से यदि तलाशा जाये तो ग्रह-नक्षत्रों के ऐसे अनेक संयोग मिल जाएंगे जो लड़कियों का विवाह करवाने, न करवाने अथवा विलंब आदि से करवाने के संकेत देते हैं।
By: गोपाल राजू
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किसी कन्या के विवाह में देरी होने के ज्योतिषीय कारण क्या हैं तथा इन कारणों के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?
By: फ्यूचर पाॅइन्ट
15-Sep-2016
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विवाह के लिये सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि जातक की कुंडली में विवाह योग है अथवा नहीं क्योंकि योग तभी प्रभावी होते हैं जब पत्रिका में विवाह योग होते हैं। विवाह काल का निर्णय योग, दशा व गोचर के आधार पर किया जाता है। इन प्रश्नांे के लिये लग्न कुंडली एवं चंद्र कुंडली दोनों का विश्लेषण करना चाहिये। अधिक गहराई के लिये नवांश का भी अध्ययन कर लेना चाहिये। यदि कुंडली में निम्नलिखित योग हों तो विवाह अवश्य होता है:
By: जय इंदर मलिक
15-Nov-2016
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हस्तरेखा शास्त्र के आधार पर हाथ की रेखाओं से जीवन के सभी रंग सामने आ जाते हैं लेकिन आइए जानें किन विषम रेखाओं के कारण मनचाहे साथी से विवाद होने के बाद भी समस्त वैवाहिक जीवन उतार-चढ़ाव के भंवर में फंसकर दुखपूर्ण हो जाता है।
By: भारती आनंद
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आजकल विवाह के समय कुंडली मिलान ही नहीं हस्तमिलान भी जरूरी माना जा रहा है। हस्तमिलान में भी अंगूठे का विशेष महत्व है। इस आलेख में वर-कन्या के हस्त लक्षणों का मिलान कर सुखी वैवाहिक जीवन की नींव रखने का अनूठा ढंग बताया जा रहा है...
By: सुमन शर्मा
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वैवाहिक सुख व कार्य-व्यवसाय के बारे में ज्योतिष द्वारा विश्लेषण करने की विस्तृत विधि: वैवाहिक सुख का विचार सामान्यतः सप्तम व कार्य-व्यवसाय का विचार दशम भाव से किया जाता है। कार्य-व्यवसाय अर्थात् जातक आजीविका में व्यापार करेगा या नौकरी। यह भी दशम भाव, स्वामी, कारक तथा इसमें स्थित ग्रह तथा इन सब पर दृष्टि डालने वाले ग्रहों पर निर्धारित होता है।
15-Jan-2017
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विवाह मानव जीवन का अत्यन्त आवश्यक पहलू है। लेकिन किसी भी व्यक्ति का विवाह कब होगा अर्थांत किस दशा-अंर्तदशा में होगा? यह बताने के लिये विभिन्न ज्योतिष विशेषज्ञों की राय विभिन्न रही है। जन्म कुंडली में विवाह कारक ग्रहों का किन-किन भावों से संबंध है, इस बारे में भी ज्योतिषियों की राय अलग अलग रही है। अक्सर ये कहा जाता है कि जन्म कुंडली में विवाह के भाव सप्तम भाव से संबंध रखने वाले ग्रहों की दशा काल में ही विवाह हो सकता है।
By: संजय बुद्धिराजा
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शादी के बारे में कहा जाता है कि जोड़ियां स्वर्ग में निर्धारित होती हैं धरती पर तो केवल आयोजित होती हैं। शादी सात जन्मों का बंधन होता है। इतने पहले निर्धारित हुई शादी धरती पर संपन्न होने में इतनी देर क्यों हो जाती है। इस प्रश्न का उत्तर आपके कुंडली में निहित है। खासकर वे माँ-बाप काफी चिंतित रहते हैं, जिनके लड़के-लड़की की उम्र काफी हो जाती है। शादी कब होगी, कहां होगी, लव मैरेज होगी या अरेंज्ड मैरेज होगी? शादी के बाद पति-पत्नी का आपसी तालमेल कैसा रहेगा इत्यादि सारी बातें कुंडली के द्वारा जानी जा सकती है।
By: सत्य प्रकाश दुबे
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इस भाग-दौड़ की दुनिया में आधुनिकता, वैज्ञानिकता, तकनीकी सेंसर की चकाचैंध से परिपूर्ण इस विश्व में नवयुवक और नवयुवतियां अज्ञानता, अनभिज्ञता के अंधेरे में गुम होकर ऐसे कदम उठा लेते हैं जिससे उनका अनमोल जीवन नारकीय, कष्टप्रद और वीभत्स बन जाता है और बाद में पश्चात्ताप के अलावा उनके हाथ कुछ नहीं लगता। ऐसे में यदि हम ज्योतिष का सहारा लेकर जीवनसाथी का चुनाव करें तो हम अपने जीवन को सुखद एवं खुशहाल बना सकते हैं।
By: ओम प्रकाश दार्शनिक
15-Jun-2016