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आपका नाम सिर्फ़ पहचान नहीं, बल्कि आपकी रोज़मर्रा की ऊर्जा का हिस्सा है। कई बार हम महसूस करते हैं कि मेहनत के बावजूद चीज़ें हमारे पक्ष में नहीं होतीं।
By: AIFAS
22-Aug-2025
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किसी के लिए भी जिंदगी आसान नहीं होती है। किसी को शादी में परेशानियां आती हैं, तो किसी का करियर खराब चल रहा होता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए नौकरी मिलना ही एक सपने की तरह हो जाता है। वो बार-बार इंटरव्यू देते हैं.
19-Aug-2025
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क्या आपकी जिंदगी में परेशानी चल रही है? क्या आप अपने करियर में परेशान हैं? अगर हां तो हो सकता आपके जीवन में राहु का प्रभाव हो। रिश्ते हों या स्वास्थ्य, कुछ ऐसा अजीब चल रहा है.
12-Aug-2025
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मनुष्य के जीवन में विवाह एक ऐसा मोड है, जहां उसका सारा जीवन एक निर्णय पर आधारित होता है। जिस व्यक्ति के साथ जीवन भर चलना है, वह अपने मन एके अन्सुआरा हिया, या नहीं, यह कुछ क्षणों में कैसे जानें? उसका भाग्य एवं भविष्य भी तो आपके
By: डॉ. अरुण बंसल
01-Jan-2014
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धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष मानव जीवन के मुख्य लक्ष्य कहे गए हैं। हर व्यक्ति इन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु यथासंभव प्रयास करता है। लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु शास्त्रों में विभिन्न ज्योतिषीय सामग्रियों के उपयोग का उल्लेख है, जिनमें रुद्राक्ष का स्थान प्रमुख है। रुद्राक्ष भगवान शिव का अंश है और शिव संहारक हैं, तो कल्याणकारी भी। रुद्राक्ष में भगवान का कल्याणकारी रूप समाहित है। यही कारण है कि इसमें कष्टों से मुक्ति का सामथ्र्य है। रुद्राक्ष धारण से जहां शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है, वहीं विभिन्न रुद्राक्ष विभिन्न कार्यों के संपादन और लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं।
By: रंजू नारंग
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जिस जातक की जन्मकुंडली में मंगल चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, द्वादश भावों में स्थित होता है, उसे मांगलिक कहा जाता है। उपरोक्त भावों के अलावा द्वितीय भाव में मंगल की स्थिति को भी मंगली दोष मानते हैं। अर्थात यदि वर की जन्मकुंडली के उपयुक्त भावों में से किसी भाव में मंगल हो तो वर या वधू के जीवन को खतरा हो सकता है।
By: बाबुलाल शास्त्री
15-Aug-2015
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विवाह में विलंब और वैवाहिक जीवन में क्लेश, तनाव, मानसिक पीड़ा और तलाक जैसी स्थिति किन योगों के कारण होती है। इन स्थितियों से बचाव के लिए किए जाने वाले उपायों का वर्णन।
By: फ्यूचर पाॅइन्ट
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विवाह के समय केवल कुंडली मिलान अर्थात गुण मिलान ही महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि षड्वर्गों की स्थितियों का अध्ययन भी जरूरी होता है। होरा, द्रेष्काण, सप्तमांश एवं नवमांश का सूक्ष्म विश्लेषण कर जो कुंडली मिलाई जाती है, उससे लगभग पूरे दाम्पत्य जीवन के उतार-चढ़ाव की जानकारी प्राप्त हो जाती है, कैसे आइए जानें...
By: विक्रम मावी
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भारतीय ज्योतिषशास्त्र का मूल उद्देश्य ही मानव मात्र का कल्याण है। वैदिक काल से ही इस वेदाङ्ग ने विभिन्न भौतिक तथा आध्यात्मिक संतापों से मानव को मुक्ति प्रदान की है। वैवाहिक सम्बन्धों के सन्दर्भ में भी ज्योतिषशास्त्र की उपादेयता सर्वसिद्ध है। विवाह में होने वाले विलम्ब अथवा विवाह के पश्चात् होने वाले पार्थक्य, वैमनस्य, वैधव्य, विधुरता, विवाहेत्तर सम्बन्ध आदि विषयों पर भी ज्योतिषशास्त्र के ग्रन्थों में पर्याप्त चर्चा की गई है।
By: राजीव रंजन
15-Nov-2016
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ज्योतिषशास्त्र के सहस्राधिक ग्रन्थों में विवाह तथा उससे जुड़ी हुई समस्याओं पर शताब्दियों से चर्चा होती रही है। वैवाहिक समस्याओं के लिए उत्तरदायी ग्रहयोगों के विषय में दैवज्ञों के साथ-साथ सामान्य मनुष्यों तक को प्रमुख आधारभूत सूचनाएँ ज्ञात हैं। परन्तु इन ज्योतिषीय ग्रहयोगों के ज्ञान के साथ-साथ यदि उनके निवारण के सम्बन्ध में ज्ञान न हो तो इसे उचित स्थिति नहीं कहा जा सकता है। अतः वैदिक, पौराणिक उपायों के साथ-साथ लोकप्रसिद्ध लाल किताब में वर्णित उन उपायों को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है
By: प्रियंका जैन
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आज का मानव अर्थ के पीछे दौड़ रहा है एवं भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील है। पाश्चात्य संस्कृति अनुसार संस्कारों में परिवर्तन के साथ-साथ निवास/व्यवसाय/स्थल में भी वास्तु नियमों की अवहेलना की जा रही है जिससे परिवार सीमित होता जा रहा है एवं परिवार में सास, बहू, भाई, बहन, भाभी, माता, पिता में टकराव व अलगाव की परिस्थितियां होती जा रही हैं, पूर्व में परिवार संयुक्त रहता था व संबंध मधुर रहते थे।
15-Jan-2015
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कहते हैं जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं और भगवान सभी रिश्ते ऊपर से बनाकर भेजता है। बच्चा जन्म के साथ ही इन सभी रिश्तों में बंध जाता है, लेकिन एक रिश्ता ऐसा भी होता है जो उसे जन्म के साथ नहीं मिलता। वो है उसके परफेक्ट पार्टनर का, जिसको पाने का ज्यादातर लोग सपना देखते रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र मानता है कि हमारा जीवनसाथी और भाग्य सितारे और ग्रह तय करते हैं।
15-Feb-2017
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By: शुभेष शर्मन
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दो परस्पर विरुद्ध स्वभाव की मौलिक शक्तियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित होना ही विवाह है। जहाँ प्राचीन युग में कुटुंब को देखकर विवाह निश्चित किया जाता था, वहीं आधुनिक युग में जातक के आर्थिक स्तर को अधिक महत्व दिया जा रहा है। आजकल के प्रतिस्पर्धात्मक युग में जातक को अपना आर्थिक स्तर मजबूत करने में समय लगता है जो साधारणतया एक सुदृढ़ शैक्षणिक योग्यता के पश्चात् ही संभव हो पाता है।
By: सुशील अग्रवाल
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विवाह जातक के जीवन काल की सबसे महत्वपूर्ण स्मरणीय घटना होती है। हमारे भारत देश में लड़के और लड़के के माता-पिता के आपसी संपर्क व सहयोग से धार्मिक व सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह होते हैं। विवाह मानव जीवन में एक अपरिहार्य संस्कार है। विवाह के पश्चात ही एक पुरूष को एक स्त्री के साथ रहने का वैध अधिकार प्राप्त होता है। ब्राह्मणों दैवस्तयैवार्थः प्राजापत्यस्तथासुरः। गान्धर्वो राक्षसश्चैव पैशाचश्चाष्टमोऽधयः।।
By: राजेंद्र शर्मा ‘राजेश्वर’