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किसी के लिए भी जिंदगी आसान नहीं होती है। किसी को शादी में परेशानियां आती हैं, तो किसी का करियर खराब चल रहा होता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए नौकरी मिलना ही एक सपने की तरह हो जाता है। वो बार-बार इंटरव्यू देते हैं.
By: AIFAS
19-Aug-2025
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क्या आपकी जिंदगी में परेशानी चल रही है? क्या आप अपने करियर में परेशान हैं? अगर हां तो हो सकता आपके जीवन में राहु का प्रभाव हो। रिश्ते हों या स्वास्थ्य, कुछ ऐसा अजीब चल रहा है.
12-Aug-2025
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People stand out even when they don't mean to. They lead. They take charge. They are very bright everywhere they go. Often, these people are born with something special. That special thing could be their birth number.
30-Jul-2025
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हाल ही में जन्माष्टमी 1 व 2 सितंबर को मनाई गई। वृन्दावन व अनेक मंदिरों में 1 सितंबर को व मथुरा, बिड़ला मन्दिर आदि में 2 सितंबर को।
By: डॉ. अरुण बंसल
01-Jan-2014
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भारतिय वैज्ञानिकों को चंद्र अभियान कार्यक्रम में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान व् चीन के बाद भारत चंद्र अभियान शुरू करने वाला विश्व का छठा राष्ट्र है।
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जन्म लेते ही चाहत हर व्यक्ति के जीवन से जुड़ जाती है बचपन में यह माता-पिता, खेल तथा चाकलेट आदि के प्रति होती है तो युवावस्था में युवा साथी के प्रति।
By: आभा बंसल
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अपने बच्चे के जन्म के समय माता-पिता भगवान को लाख-लाख धन्यवाद देते हैं और दुआ करते हैं कि उनकी उमर भी उनके बच्चे को लग जाए लेकिन वही बच्चा जब किसी भयंकर मुसीबत या रोग का शिकार हो जाए तो मां की ममता कराह उठती है, पिता का दिल रो पड़ता है और मां आंचल फैलाकर भगवान से दुआ कर बैठती है कि ‘हे भगवान! मेरे बच्चे को अपनी शरण में ले ले।’ कैसी होती होगी उसकी विवशता कि जिस बच्चे के लिए उसने इतनी मिन्नतें कीं, दिन-रात जिसे छाती से चिपकाए रखा, पाला पोसा, परवान चढ़ाया, वही उसके सामने मृत्यु तुल्य कष्ट भोग रहा हो और वह कुछ नहीं कर पा रही हो। मां की उसी कराहती ममता, उसकी विवशता को चित्रित करती प्रस्तुत है एक सच्ची कहान
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ज्योतिष में भविष्य कथन की कई पद्वतियां है। जिन्हें भिन्न-भिन्न महर्षियों ने अपने-अपने अनुसंधानों के आधार पर तैयार किया है। महर्षि जैमिनी ने भी फलकथन की एक ऐसी ही पद्वति विकसित की जिसे जैमिनी ज्योतिष के नाम से जाना
By: फ्यूचर समाचार
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1. विषय प्रवेश हमारे वेदों और पुराणों में भारत की सत्य और शाश्वत आत्मा निहित है और इन्हें समझे बगैर भारतीय परम्परा एवं दृष्टिकोण को समझना सम्भव भी नहीं है। शास्त्रों में ज्योतिष को वेदों के नेत्र (ज्योतिषम् वेदानां चक्षु) की संज्ञा प्राप्त है और प्राचीन समय से ही ज्योतिषीय ज्ञान द्वारा मानव की सेवा की जाती रही है। समय के साथ-साथ इसकी अलग-अलग शाखाएं निकलती रहीं, जैसे सामुद्रिक विज्ञान, वास्तु शास्त्र, अंक विज्ञान, टैरो आदि।
By: फ्यूचर पाॅइन्ट
15-Dec-2015
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‘‘ज्योतिष’’ शब्द ‘‘ज्योति’’ से बना है। ज्योति का सीधा-सादा शाब्दिक अर्थ है- द्युति, प्रकाश, उजाला, रोशनी, चमक, आभा इत्यादि। ‘‘ज्योतिष’’ एक विज्ञान है।
By: राजेंद्र शर्मा ‘राजेश्वर’
15-May-2015
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ज्योतिष शास्त्र एवं आयुर्वेद दोनों वेदों के अंग हैं जहां आयुर्वेद रोग का उपचार करने में सक्षम है वहीं ज्योतिष शास्त्र मानव शरीर में होने वाले रोगों की पूर्व जानकारी देने में सक्षम है। यदि रोग के कारणों की सही जानकारी हो, तो उपचार भी सही एवं सुचारू रूप से कर रोग मुक्त हो सकते हैं।
By: अविनाश सिंह
15-Mar-2015
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ज्योतिष एवं आयुर्वेद में काफी समानता है। आयुर्वेद जहां रोगों के ज्योतिष एवं आयुर्वेद में काफी समानता है। आयुर्वेद जहां रोगों के उपचार करने में सक्षम है वहीं ज्योतिष शास्त्र व्यक्ति को किस समय कौन सा रोग होगा इसकी जानकारी देता है। यदि ज्योतिष और आयुर्विज्ञान दोनों का ज्ञान हो जाए तो व्यक्ति रोग से बचाव के कई आयुर्विज्ञान दोनों का ज्ञान हो जाए तो व्यक्ति रोग से बचाव के कई आयुर्विज्ञान दोनों का ज्ञान हो जाए तो व्यक्ति रोग से बचाव के कई मार्ग खोज सकता है। पढिए ज्योतिष एवं आयुर्विज्ञान पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी...
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ज्योतिष शास्त्र एवं आयुर्वेद दोनों ही वेदांग अर्थात वेदों के अंग है। जहां आयुर्वेद रोग का उपचार करने में सक्षम है। वहीं ज्योतिष शास्त्र मानव शरीर में पनपने वाले रोगों की पूर्व जानकारी देने में सक्षम है। यदि रोग के कारणों की सही जानकारी हो, तो उपचार भी सही एवं सुचारू रूप से
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मधुमेह के ज्योतिषीय योग 1. गुरु नीच राशि या षष्ठ, अष्टम या द्वादश भाव में हो। 2. शनि तथा राहु, गुरु से युति या दृष्टि द्वारा पीड़ित करते हों। 3. अस्त गुरु-राहु केतु अक्ष पर हो। 4. शुक्र षष्ठ भाव में, गुरु के द्वारा द्वादश भाव से दृष्ट हो। 5. पंचमेश 6, 8, 12 वें भावेशों से युक्त हो। 6. वक्री गुरु त्रिक भाव में पीड़ित हो। यकृत और अग्न्याशय पंचम भाव के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। इनके एक भाग का कारक गुरु तथा दूसरे भाग का शुक्र है। शुक्र शरीर की ‘हार्मोन’ प्रणाली का भी कारक है। अतः पंचम, गुरु तथा शुक्र की भूमिका रहती है।
By: आर. के. शर्मा
15-Jun-2017
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उपाय ज्योतिष का अभिन्न अंग है। जहां ज्योतिष ग्रहों के शुभाशुभ प्रभावों को दर्शाता है वहीँ उपायों द्वारा व्यक्ति विशेष पर पडने वाले ग्रहों के अशुभ प्रभावों को दूर किया जाता है। ग्रहों के शुभाशुभ प्रभावों से आने वाली छोटी-बड़ी समस्याएँ तो अपने समय पर आएंगी ही,