Numerology के अनुसार आपका नाम बदलने से Life में कैसे आएगा बदलाव?

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जॉब इंटरव्यू में सिलेक्शन के लिए आज़माएं ये असरदार वास्तु उपाय

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जॉब इंटरव्यू में सिलेक्शन के लिए आज़माएं ये असरदार वास्तु उपाय

किसी के लिए भी जिंदगी आसान नहीं होती है। किसी को शादी में परेशानियां आती हैं, तो किसी का करियर खराब चल रहा होता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए नौकरी मिलना ही एक सपने की तरह हो जाता है। वो बार-बार इंटरव्‍यू देते हैं.

जीवन में असंतुलन? हो सकता है राहु का प्रभाव – ये हैं मुख्य संकेत

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जीवन में असंतुलन? हो सकता है राहु का प्रभाव – ये हैं मुख्य संकेत

क्या आपकी जिंदगी में परेशानी चल रही है? क्या आप अपने करियर में परेशान हैं? अगर हां तो हो सकता आपके जीवन में राहु का प्रभाव हो। रिश्ते हों या स्वास्थ्य, कुछ ऐसा अजीब चल रहा है.

Power of Mulank 1 – Personality Strengths, Ideal Careers & Compatibility Secrets

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Power of Mulank 1 – Personality Strengths, Ideal Careers & Compatibility Secrets

People stand out even when they don't mean to. They lead. They take charge. They are very bright everywhere they go. Often, these people are born with something special. That special thing could be their birth number.

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कुछ उपयोगी टोटके

छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है।

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कुछ नित्य उपयोगी मुहूर्तों की सारणी

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों को शुभ मुहूर्त में संपन्न करने के प्रस्तुत लेख में कुछ उप्य्गोगी मुहूर्त सारणी दी जा रही है. सारणी के प्रयोग से विद्यारंभ मुहूर्त, क्रय मुहूर्त, विक्रय मुहूर्त, दुकान मुहूर्त आदि मुहूर्त निकाले जा सकते है...

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कुछ लोग ऐसे भी होते हैं

आज के भौतिक युग में जहां सभी लोग उच्च पद, आर्थिक समृद्धि और अधिक से अधिक पाने को लालायित रहते हैं,

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कुछ विशिष्ट धन योग

धन जीवन की मौलिक आवश्यकता है। सुखमय, ऐश्वर्य संपन्न जीवन जीने के लिए धन अति आवश्यक है। आधुनिक भौतिकतावादी युग में धन की महत्ता इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि धनाभाव में हम विलासितापूर्ण जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते, विलासित जीवन जीना तो बहुत दूर की बात है। य

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कुंडली के इन ग्रहों की वजह से नहीं हो पाती है शादी, आसान से उपायों से हो सकता है समाधान

कुंडली में शादी के लिए विवाह योग बनता है और अगर यह विवाह योग बीत जाए तो कुछ समय के बाद दोबारा इस योग का आरंभ होता है।

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कुंडली के विभिन्न भावों में

प्रथम भाव में राहु व्यक्ति को दूसरों के भीतर झांककर उनकी सही पहचान पाने की दृष्टि देता है। वह कष्टदायक, आलसी, बुद्धिहीन, स्वार्थी, अधार्मिक, बातूनी, साहसी तथा विपरीत लिंग वालों से लाभ प्राप्त करने वाला होता है। वैवाहिक सुख से वंचित, पारिवारिक तनाव, चिन्ताग्रस्त, संतप्त व कामुक हो सकता है। उच्च का राहु बुद्धि और उन्नति प्रदान करता है। आयु का पांचवां वर्ष स्वास्थ्य के लिए विशेष कष्टकर होता है।

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कुंडली के विभिन्न भावों में केतु का फल

प्रथम भाव केतु यदि प्रथम भाव में हो तो व्यक्ति रोगी, चिन्ताग्रस्त, कमजोर, भयानक पशुओं से परेशान तथा पीठ के कष्ट का भागी होता है। वह अपने द्वारा पैदा की गई समस्याओं से लड़ने वाला, लोभी, कंजूस तथा गलत लोगों का चयन करने के कारण चिंतित रहता है। परिवार सुख का अभाव और जीवन साथी की चिन्ता सदा रहती है। उसे गिरने से चोट लगने का भय रहता है। किन्तु केतु के बली होने अथवा लाभदायक अवस्था में होने पर व्यक्ति जीवन में अच्छी प्रगति करता है तथा सभी प्रकार के सुख पाता है।

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कुंडली के विभिन्न भावों में केतु का फल

प्रथम भाव केतु यदि प्रथम भाव में हो तो व्यक्ति रोगी, चिन्ताग्रस्त, कमजोर, भयानक पशुओं से परेशान तथा पीठ के कष्ट का भागी होता है। वह अपने द्वारा पैदा की गई समस्याओं से लड़ने वाला, लोभी, कंजूस तथा गलत लोगों का चयन करने के कारण चिंतित रहता है। परिवार सुख का अभाव और जीवन साथी की चिन्ता सदा रहती है। उसे गिरने से चोट लगने का भय रहता है। किन्तु केतु के बली होने अथवा लाभदायक अवस्था में होने पर व्यक्ति जीवन में अच्छी प्रगति करता है तथा सभी प्रकार के सुख पाता है।

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कुंडली में कारक, अकारक और मारक ग्रह

ग्रहों को नैसर्गिक ग्रह विचार रूप से शुभ और अशुभ श्रेणी में विभाजित किया गया है। बृहस्पति, शुक्र, पक्षबली चंद्रमा और शुभ प्रभावी बुध शुभ ग्रह माने गये हैं और शनि, मंगल, राहु व केतु अशुभ माने गये हैं। सूर्य ग्रहों का राजा है और उसे क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गई है। बुध, चंद्रमा, शुक्र और बृहस्पति क्रमशः उत्तरोत्तर शुभकारी हैं, जबकि सूर्य, मंगल, शनि और राहु अधिकाधिक अशुभ फलदायी हैं। कुंडली के द्वादश भावों में षष्ठ, अष्टम और द्वादश भाव अशुभ (त्रिक) भाव हैं, जिनमें अष्टम भाव सबसे अशुभ है। षष्ठ से षष्ठ - एकादश भाव, तथा अष्टम से अष्टम तृतीय भाव, कुछ कम अशुभ माने गये हैं। अष्टम से द्वादश सप्तम भाव और तृतीय से द्वादश - द्वितीय भाव को मारक भाव और भावेशों को मारकेश कहे हैं। केंद्र के स्वामी निष्फल होते हैं परंतु त्रिकोणेश सदैव शुभ होते हैं। नैसर्गिक शुभ ग्रह केंद्र के साथ ही 3, 6 या 11 भाव का स्वामी होकर अशुभ फलदायी होते हैं। ऐसी स्थिति में अशुभ ग्रह सामान्य फल देते हैं। अधिकांश शुभ बलवान ग्रहों की 1, 2, 4, 5, 7, 9 और 10 भाव में स्थिति जातक को भाग्यशाली बनाते हैं। 2 और 12 भाव में स्थित ग्रह अपनी दूसरी राशि का फल देते हैं। शुभ ग्रह वक्री होकर अधिक शुभ और अशुभ ग्रह अधिक बुरा फल देते हैं राहु व केतु यदि किसी भाव में अकेले हों तो उस भावेश का फल देते हैं। परंतु वह केंद्र या त्रिकोण भाव में स्थित होकर त्रिकोण या केंद्र के स्वामी से युति करें तो योगकारक जैसा शुभ फल देते हैं।

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कुंडली में ग्रह की अशुभ स्थिति

व्यक्ति का सारा जीवन कुंडली के नवग्रह और सत्ताईस नक्षत्रों के द्वारा ही संचालित होता है। अगर कुंडली में सारे ग्रह अच्छे और शुभ हैं तो फिर जीवन में कोई समस्या नहीं होती है और चारों ओर से खुशियों की ही वर्षा होती है। लेकिन अगर कुंडली में ग्रह अशुभ स्थति में हैं तो फिर जीवन में संकटों और संघर्षों का विस्तार हो जाता है। किसी भी मेहनत का परिणाम फिर वही शून्य ही मिलता है।

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कुंडली में धन योग

धन आज के जीवन की जरूरी आवश्यकता है। आज धनवान, समृद्धिवान एवं विलासितापूर्ण जीवन बिताने का सपना हर कोई देखता है। जातक की कुंडली में कौन से ग्रह एवं भाव जातक को सुविधा संपन्न बनाते हैं प्रस्तुत है एक विवेचना

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कुंडली में पंच महापुरूष योग एवं रत्न चयन

ज्योतिष में पंचतारा ग्रह मंगल, बुध, गुरु, शुक्र एवं शनि द्वारा केंद्र भावों (लग्न, चतुर्थ, सप्तम, दशम) में उच्च, स्वगृही अथवा मूल त्रिकोण होकर, स्थित होने पर पंच महापुरूष योग बनते हैं जिनका प्रभाव राजयोगों की तरह होता है। यदि ग्रह पूर्ण बली होकर केंद्रस्थ है तो फल अति उत्कृष्ट होता है। इस योग के प्रकार निम्नवत हैं: