Top Five Professions after Completing an Astrology Certification

Top Five Professions after Completing an Astrology Certification

Numerology के अनुसार आपका नाम बदलने से Life में कैसे आएगा बदलाव?

View:2075

Numerology के अनुसार आपका नाम बदलने से Life में कैसे आएगा बदलाव?

आपका नाम सिर्फ़ पहचान नहीं, बल्कि आपकी रोज़मर्रा की ऊर्जा का हिस्सा है। कई बार हम महसूस करते हैं कि मेहनत के बावजूद चीज़ें हमारे पक्ष में नहीं होतीं।

जॉब इंटरव्यू में सिलेक्शन के लिए आज़माएं ये असरदार वास्तु उपाय

View:1806

जॉब इंटरव्यू में सिलेक्शन के लिए आज़माएं ये असरदार वास्तु उपाय

किसी के लिए भी जिंदगी आसान नहीं होती है। किसी को शादी में परेशानियां आती हैं, तो किसी का करियर खराब चल रहा होता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए नौकरी मिलना ही एक सपने की तरह हो जाता है। वो बार-बार इंटरव्‍यू देते हैं.

जीवन में असंतुलन? हो सकता है राहु का प्रभाव – ये हैं मुख्य संकेत

View:2049

जीवन में असंतुलन? हो सकता है राहु का प्रभाव – ये हैं मुख्य संकेत

क्या आपकी जिंदगी में परेशानी चल रही है? क्या आप अपने करियर में परेशान हैं? अगर हां तो हो सकता आपके जीवन में राहु का प्रभाव हो। रिश्ते हों या स्वास्थ्य, कुछ ऐसा अजीब चल रहा है.

Articles

Read Articles in English
astrology-articles

View:12426

इंजिनियर बनने के ग्रह योग

यदि किसी जातक की कुंडलइ में इंजिनियर बनने के दो या दो से अधिक अच्छे योग हों तो जातक इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर प्राप्त करता है। ज्योतिष में इंजीनियर बनाने के निम्नलिखित योग पाए जाते है।

astrology-articles

View:9550

इन्फर्टिलिटी

‘‘फर्टिलिटी अर्थात प्रजनन क्षमता से जुड़ी समस्यायें स्त्री और पुरूष दोनों में ही पायी जाती हैं। हमारी कुंडली जीवन के प्रत्येक पक्ष को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। पुरूष की कुंडली में शुक्र और सूर्य तथा स्त्री की कुंडली में मंगल और चंद्रमा प्रजनन क्षमता को नियंत्रित करते हैं। इसके अतिरिक्त कुंडली का सप्तम भाव भी फर्टिलिटी में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। पुरुषों के लिए शुक्र, शुक्राणु को नियंत्रित करता है और सूर्य की सहायक भूमिका होती है तथा स्त्रियों के लिए मंगल और चंद्रमा रज को नियंत्रित करते हैं।

astrology-articles

View:8548

ईशा का नन्हा विभोर विलक्षण प्रतिभाशाली

तीन वर्ष की छोटी सी आयु में विलक्षण प्रतिभाशाली मास्टर विभोर को वल्र्ड रिकार्ड अकादमी के द्वारा पीएच. डीकी मानद डिग्री के लिए नामांकित किया गया है। इतनी छोटी सी आयु में विश्वविद्यालय की सर्वोच्च उपाधि के लिए नामांकित किये जाने वालों में विभोर विश्व का सबसे कम आयु वाला बच्चा है। क्या इतनी छोटी सी आयु में कोई पीएच. डी. जैसी डिग्री को प्राप्त करने के बारे में सोच भी सकता है? सचमुच ही यह बड़े आश्चर्य की बात है कि कोई बच्चा इतना असाधारण प्रतिभाशाली भी हो सकता है। जब यह समाचार टेलीविजन एवं न्यूजपेपर में आया होगा कि ‘‘तीन साल के विभोर को मिलेगी पीएच. डी. की डिग्री’’ तो उसकी मां ईशा को अत्यंत गर्व का अनुभव हुआ होगा। गर्व क्यों न हो ऐसी असाधारण प्रतिभा किसी विरले को ही सुलभ हो सकती है। हर ज्योतिर्विद यह जानना चाहता है कि सितारे ऐसा क्या ग्रह योग बना रहे हैं कि जिनके प्रभाव से नन्हा विभोर इतना प्रतिभाशाली और कुशाग्र बुद्धि संपन्न हो गया। आईये जानें इस सत्य कथा में प्रकाशित विभोर की जन्मकुंडली के ज्योतिषीय विश्लेषण से....

astrology-articles

View:51834

उच्च नीच के ग्रह क्यों और कैसे होते हैं?

ज्योतिष में रुचि रखने वाले उच्च/ नीच के ग्रहों से रोजाना मुखातिब होते हैं और ग्रहों की इस स्थिति के आधार पर फलकथन भी करते हैं। शाब्दिक परिभाषा के आधार पर ‘उच्च’ का तात्पर्य सामान्य स्तर से ऊँचा और ‘नीच’ का तात्पर्य सामान्य स्तर से नीचा होता है। इस लेख का विषय है कि ग्रह उच्च/नीच के क्यों और कैसे होते हैं?

astrology-articles

View:12991

उच्च शिक्षा प्राप्ति के ग्रह योग तथा उपाय

वर्तमान काल के प्रतिस्पद्र्धापूर्ण वातावरण में सफलता के लिए सद्बुद्धि, मानसिक दृढ़ता और उचित शिक्षा आवश्यक होती है। हर एक व्यक्ति की कार्यक्षमता अलग होती है। सभी कुशल डाॅक्टर, इंजीनियर या सफल व्यापारी नहीं बन सकते। शिक्षा के विषयों में भी बहुमुखी विस्तार हुआ है। अतः माता-पिता को संतान की जन्मकुंडली एक योग्य ज्योतिषाचार्य को दिखाकर मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए जिससे उसका भविष्य सुगम व सफल बने।

astrology-articles

View:19542

उत्तर भारत में पंचांग निर्माण के स्थल

इस अनुपम विशेषांक में पंचांग के इतिहास विकास गणना विधि, पंचांगों की भिन्नता, तिथि गणित, पंचांग सुधार की आवश्यकता, मुख्य पंचांगों की सूची व पंचांग परिचय आदि अत्यंत उपयोगी विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है। पावन स्थल नामक स्तंभ के अंतर्गत तीर्थराज कैलाश मानसरोवर का रोचक वर्णन किया गया है।

astrology-articles

View:7470

उत्तर-पूर्व में दोष वंश वृद्धि में अवरोध

घर की अनियमित आकृति जीवन में कठिनाईयां तथा कमियां लाती है।

astrology-articles

View:7497

उत्तराखंड त्रासदी व भारत का राजनैतिक भविष्य

अप्रैल 2013 से सितंबर 2013 तक पूर्ण कालसर्प योग का समय है। इसके कारण सभी ग्रह राहु-केतु के एक ओर एकत्रित हो जाते हैं।

astrology-articles

View:9618

उत्तरायण और मकर संक्रांति की भ्रांति

हर वर्ष की तरह जनवरी-2016 में भी, सूर्य देवता के मकर राशि में प्रवेश करते ही, भारत में मकर संक्रांति बड़ी धूम-धाम से मनाई जायेगी और हर वर्ष की तरह एक-दूसरे को फोन पर और ॅींजे।चच आदि पर शुभकामनाएं देने का तांता सा लग जायेगा। मकर संक्रांति की महत्ता फसलों के त्यौहार से अधिक उत्तरायण की शुरुआत के लिये मानी जाती रही है और इसकी पुष्टि अनेक पुस्तकों और लेखों में होती रही है। आइये, मिलकर इस विषय पर मनन करें और स्वयं निष्कर्ष पर पहुंचें कि क्या उत्तरायण और मकर संक्रांति एक ही समय से शुरू होती हैं?

astrology-articles

View:29603

उदर रोग

उदर शरीर का वह भाग या अंग है जहां से सभी रोगों की उत्पत्ति होती है। अक्सर लोग खाने-पीने का ध्यान नहीं रखते, परिणाम यह होता है कि पाचन प्रणाली गड़बड़ा जाती है जिससे मंदाग्नि, अफारा, कब्ज, जी मिचलाना, उल्टियां, पेचिश, अतिसार आदि कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते जाते हैं जो भविष्य में किसी बड़े रोग का कारण भी बन सकते हैं। यदि सावधानी पूर्वक संतुलित आहार लिया जाये तो पाचन प्रणाली सुचारू रूप से कार्य करेगी और हम स्वस्थ रहेंगे।

astrology-articles

View:7914

उपरत्न - नाम, रंग परिचय

1. आबरी: (काला रंग) 2. अह्वा: (गुलाबी रंग) 3. आलेमानी (अकीक जैसा भूरा, काली धारियां) 4. ओपल: (सफेद रंग, रंग बिरंगे चकत्ते) 5. अकीक: (विभिन्न रंग) 6. एलेक्जेंडर (जामुनी रंग, नीलम का उपरत्न)

astrology-articles

View:63100

उपरत्न : गुण एवं पहचान

रत्न न केवल आभूषणों की ही शोभा बढाते है। बल्कि इनमे दैविक शक्ति भी विद्यमान होती है। रत्नों की संख्या काफी बड़ी है। परंतु ८४ रत्नों को ही मान्यता प्राप्त है। ९ मुख्य रत्न क्रमश: माणिक्य, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया