Top Five Professions after Completing an Astrology Certification

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Numerology के अनुसार आपका नाम बदलने से Life में कैसे आएगा बदलाव?

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Numerology के अनुसार आपका नाम बदलने से Life में कैसे आएगा बदलाव?

आपका नाम सिर्फ़ पहचान नहीं, बल्कि आपकी रोज़मर्रा की ऊर्जा का हिस्सा है। कई बार हम महसूस करते हैं कि मेहनत के बावजूद चीज़ें हमारे पक्ष में नहीं होतीं।

जॉब इंटरव्यू में सिलेक्शन के लिए आज़माएं ये असरदार वास्तु उपाय

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जॉब इंटरव्यू में सिलेक्शन के लिए आज़माएं ये असरदार वास्तु उपाय

किसी के लिए भी जिंदगी आसान नहीं होती है। किसी को शादी में परेशानियां आती हैं, तो किसी का करियर खराब चल रहा होता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए नौकरी मिलना ही एक सपने की तरह हो जाता है। वो बार-बार इंटरव्‍यू देते हैं.

जीवन में असंतुलन? हो सकता है राहु का प्रभाव – ये हैं मुख्य संकेत

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जीवन में असंतुलन? हो सकता है राहु का प्रभाव – ये हैं मुख्य संकेत

क्या आपकी जिंदगी में परेशानी चल रही है? क्या आप अपने करियर में परेशान हैं? अगर हां तो हो सकता आपके जीवन में राहु का प्रभाव हो। रिश्ते हों या स्वास्थ्य, कुछ ऐसा अजीब चल रहा है.

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पदमावती यंत्र / पदमावती मंत्र

कष्टोंपचार के त्रिविध साधनों में से यंत्र एवं मंत्र दो अति महत्वपूर्ण साधन माने गए हैं। वैदिक काल से ही इनकी श्रेष्ठता किसी न किसी रूप में इनके कुशल एवं लाभदायक अनुप्रयोगों द्वारा स्पष्ट होती रही हैं।

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पिरामिड वास्तु: धन, स्वास्थ्य और सफलता का मिश्रण

प्राकृतिक ऊर्जा का संबंध दिषाओं से है। कर्म स्थान हो या व्यापार स्थान शरीर और जीवन को स्फूर्तिवान बनाने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवष्यकता होती है। वास्तु शास्त्र में पिरामिड ऊर्जा का विषेष महत्व है। पिरामिड अपनी विषिष्ट आकृति के कारण उपयोगी ऊर्जा का प्रसार करते हैं। पिरामिड से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग अनेकानेक रोगों एवं मानसिक तनाव को दूर करने के लिए भी किया जाता है।

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भाग्यवर्द्धक रत्न लाॅकेट

माणिक: यह रत्न सूर्य ग्रह का रत्न माना जाता है। सूर्य ग्रह की अनुकूलता के लिए इसे धारण किया जाता है।

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मनोकामना सिद्धि का आसान उपाय रुद्राक्ष धारण

धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष मानव जीवन के मुख्य लक्ष्य कहे गए हैं। हर व्यक्ति इन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु यथासंभव प्रयास करता है। लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु शास्त्रों में विभिन्न ज्योतिषीय सामग्रियों के उपयोग का उल्लेख है, जिनमें रुद्राक्ष का स्थान प्रमुख है। रुद्राक्ष भगवान शिव का अंश है और शिव संहारक हैं, तो कल्याणकारी भी। रुद्राक्ष में भगवान का कल्याणकारी रूप समाहित है। यही कारण है कि इसमें कष्टों से मुक्ति का सामथ्र्य है। रुद्राक्ष धारण से जहां शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है, वहीं विभिन्न रुद्राक्ष विभिन्न कार्यों के संपादन और लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं।

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रत्न रहस्य

मानव जीवन पर ग्रहों का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है. ग्रहों में व्यक्ति के सृजन एवं संहार की जितनी प्रबल शक्ति होती है, उतनी ही शक्ति रत्नों में ग्रहों की शक्ति घटाने तथा बढाने की होती है. रत्नों की इसी शक्ति के उपयोग के लिए इन्हें प्रयोग में लाया जाता है. रत्न मात्र व्यक्ति के सोंदर्य में ही वृद्धि नहीं करते हैं बल्कि इनके प्रयोग से ग्रह जनित रोगों कों भी दूर किया जा सकता है...

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रत्नों का प्रयोग

ज्योतिर्विदों ने अपने अनुसंधानों के द्वारा प्रत्येक ग्रहों से संबंधित रंगों व अनुकूलताओं के आधार पर उन रत्नों की खोज की जिन्हें धारण करके हम किसी भी ग्रह से उत्पन्न दोषों का निवारण कर अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं।

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राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से आयु-आरोग्य तथा धन, यश की प्राप्ति

एक मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है यह साक्षात् भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से यश, मान, प्रतिष्ठा, धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

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रोजगार एवं धन प्राप्ति के सरल उपाय

नौकरी, व्यापार अथवा आजीविका के क्षेत्र में प्रयासरत रहने के बाद भी अनुकूल परिणाम प्राप्त न होने पर व्यक्ति के स्वभाव में निराशा का भाव आ सकता है. यही स्थिति शैक्षिक क्षेत्र में देखने में आती है. ऐसे में इस आलेख में दिए गए सरल उपायों, टोटकों और मन्त्रों से सकारात्मक सफलता की संभावनाएं जागृत की जा सकती है....

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लक्ष्मी आगमन के विशेष वास्तु उपचार

गृह के मुख्य द्वारा को गृहमुख माना जाता है. इसका वास्तु शास्त्र में विशेष महत होता हा. यह परिवार व् गृहस्वामी की शालीनता,समृद्धि विद्वता दर्शाता है. इसलिए मुख्य द्वार को हमेशा बाकी द्वारों की अपेक्षा कुछ बड़ा व् सुसज्जित रखने की प्रथा रही है....

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लक्ष्मी कृपा के ज्योतिषीय आधार

दीपावली महापर्व की परंपरा कब से प्रारंभ हुई है यह बताना व जानना प्रायः दुष्कर है इस दीपावली पर्व परंपरा का इतिहास अलग-अलग ढंग से प्राप्त होता है। हमारी भारतीय संस्कृति वेद प्रधान है। वेदों को लेकर पौराणिक साहित्य में ब्रह्म की चर्चा हुई है। ब्रह्म का दूसरा नाम विद्या भी है। शाक्त संप्रदाय में इस ब्रह्म या विद्या की साधना के दस प्रधान मार्ग बताये गये हैं। यही दस मार्ग हैं- काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी एवं कमला। कमला को ही लौकिक जीवन में महालक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। पुराणों मंे समुद्र मंथन की कथा का विस्तार से उल्लेख हुआ है। महालक्ष्मी इसी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं।

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लक्ष्मी कहां रहती है और कहां नहीं रहती है।

लक्ष्मी चंचला है। उसका स्थायी निवास उसी स्थान पर होता है जहां उदारता, कर्मठता, गुरु एवं माता पिता की सेवा करने वाले लोग निवास करते हैं। आइए जानें, लक्ष्मी जी का प्रिय निवास स्थान कहां है? और कहां रहना उनको अप्रिय है ?

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लक्ष्मी को खुश करने के उपाय

- दीपावली के दिन किन्नर ईनाम लेने के लिये आते हैं उनको ईनाम जरूर दें। एक सिक्का उनसे लेकर अपने कैश बाॅक्स में रख लें, धन में वृद्धि वर्ष भर होती रहेगी।